इस्लामी हुड़दंग और मोदी- शाह
हिंदु मंदिरों पर हमलों और " मॉब लिंचिंग" की मनगढ़ंत अफवाए फैलाकर कही भारतीय मुस्लिम नेतृत्व खुदकशी तो नहीं कर रहा?
2019 के लोकसभा परिणाम अप्रत्याशित थे, जिसने हिन्दुत्ववादी संघठनों, आम हिंदु और समविचारी लोगों को एक सुन्दर सपने का एहसास दिलाया| भाजपा विरोधी राजनैतिक पार्टिया, मुस्लिम- ईसाई संघठनों तथा उनके नेतृत्व को इन परिणामों ने एक दर्दनाक झटका दिया| इन परिणामों के तुरंत बाद एन.डी.ए. की पहली बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 70 सालों से मुसलमानों को सिर्फ "वोट बैंक" के तौर पर इस्तेमाल करने का जिक्र किया और सरकार बनते ही तुरंत मुसलमान छात्रों को स्कोलरशिप देने वाली बहुत बड़े योजना की घोषणा कर डाली| इन लगातार तीन झटकों से कांग्रेस - कम्युनिस्ट- मुसलमान- मिडीया की चौकड़ी बेहद सदमे में चली गई| लेकिन आम मुसलमानों ने इसका मोटे तौर पर स्वागत किया|
मुस्लिम हित वाली घोषणा से 2024 के बाद भी विपक्ष को किसी प्रकार की उम्मीद दिखना बंद हुआ| एक तरफ भयंकर राजनैतिक हार और दूसरी तरफ मोदी सरकार की मुस्लिम हित वाली योजना इस दोतरफा मार से कांग्रेस - कम्युनिस्ट- मुसलमान- वामपंथी मिडीया एक पेचीदा दुविधा में फसा| और इसपर कारगर उपाय ढूंढने के लिए यह चौकड़ी काम पे जुट गई|
2024 तक कांग्रेस किसी मजबूत नेतृत्व के साथ सामने आने की संभावना बहुत कम है| मुस्लिम समाज भी किसी एक नेता के पीछे लामबंद होने की गुंजाईश नहीं है| एक ज़माने में भारत के मीडीया और बुद्धिजीवियों पर राज करने वाले कम्युनिस्ट उनके गढ़ बंगाल और केरल से सिर्फ 1 सीट और कुल 4 सीटे जित गए है| लेकिन अपनी पकड़ कांग्रेस - कम्युनिस्ट- मुसलमान- वामपंथी मिडीया इतनी आसानी से छोड़ने वाले नहीं है| और इसी पकड़ को वापिस अपने हाथ लेने के लिए, और भाजपा- संघ को घेरने के लिए "मॉब लिंचिंग" की तरकीब निकाली है|
"मॉब लिंचिंग" नाम का फंदा!
झारखण्ड में एक बदनाम चोर तबरेज़ अन्सारी चोरी करते पकड़ा गया| जैसा की किसी भी छोटे गाव में होता है वैसेही गाववालों ने तबरेज़ की पिटाई की, लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस उसे अपने साथ ले गई और उन्हें जेल में डाल दिया| कुछ दिन बाद तबरेज़ किसी अन्य कारण से जेल में ही गुजर गया| मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार वह किसी भी चोट की वजह नहीं मारा गया बल्की दिल का दौरा पड़ने से मरा| लेकिन उसे "शहीद" का दर्जा बहाल कर इस चौकड़ी ने मामला इतना बढाया की संसद में प्रधानमंत्री को इसका जिक्र करना पड़ा|
इसके बाद देशभर के मिडीया में "मॉब लिंचिंग" के खबरों की मानो बाढ़ सी आ गई| अंतरराष्ट्रीय मिडीया में भी इसपर काफी हो होहल्ला मचाया गया| कई जगह से जमकर भारत के खिलाफ टिप्पणी करने वाले प्रस्ताव पारित हुए|
अब भारत की पहचान "हिंदुस्तान" नहीं "लिंचिस्तान" हो गयी, जैसे नए नए अविष्कार भी हुए|
"जय श्रीराम" और "मॉब लिंचिंग"
इसके बाद दुसरे चरण में देशभर से मुस्लिम युवकों को पकड़ कर जबरन "जय श्रीराम" का नारा लगवाया गया और मना करने के बाद उसकी पिटाई हुई, ऐसे खबरों की बाढ़ आयी| इसमें से बंगाल के कूचबिहार, गुरुग्राम और कानपुर की घटनाए पूरी तरह से झूठ निकली| न्यूज-18 और टाईम्स ऑफ़ इन्डिया ने इस संदर्भ में खबरे छापी| कूचबिहार की घटना मे मुस्लिम व्यक्ति ने ही मुस्लिम को "जय श्रीराम" वाली विडीयो बनाने के लिए पीटने का मामला सामने आया|
गैरजिम्मेदार मुस्लिम नेतृत्व और उर्दू मिडीया आत्महत्या की ओर अग्रेसर?
अप्रत्याशित 303 सीटों के साथ मोदी जी की दुबारा वापसी और अमित शाह की पहिली बार सत्ता में शिरकत के बाद मुस्लिम समुदाय को साथ लेने की घोषणा और उसके अनुसार कई योजनाओं की घोषणा करने के बावजूद वामपंथी मिडीया और कांग्रेस द्वारा तैयार किया गया "मॉब लिंचिंग" का झूठ अपने कंधे पर लेकर मुस्लिम मेतृत्व और उर्दू मिडीया ने सीधे आत्महत्या की है| उर्दू मिडीया दिन-रात एक कर के ऊँचे स्वर में रो रहा है, "हुजूमी तशद्दुद मे भारी ईजाफा", "मोदी-२ मे मुसलमान मेहफूझ नही"| इतनाही नहीं तथाकथित "हुजूमी तशद्दुद" (मॉब लिंचिंग) के खिलाफ देशभर में निषेध, जुलुस, आंदोलनों की उर्दू मिडीया जोरशोर से एडवर्टाइजिंग कर रहा है|
एक ज़माने में सौदी के पेट्रो डॉलर और पाकिस्तान की भावनिक गर्माहट पर जीनेवाले भारतीय मुसलमान फिलिस्तीन में इसरायली गोलाबारी में अरब मरते थे तो भारत में इसके खिलाफ हिंसक जुलुस निकालते थे|लगातार 70 सालों से सौदी का ग्रैंड मुफ्ती इजराइल के खिलाफ फतवे निकालता था| आज वही सौदी अरेबिया इजराइल के साथ मिलकर शिया ईरान को घेरने में लगा हुआ है और पाकिस्तान ऐतिहासिक कंगाली की तरफ बढ़ रहा है|
इतनाही नहीं, जिस कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने देशभर में मुस्लिमों की आवाज बुलंद कर रखी थी, आज दोनों राजनीति के हाशिए पर जाकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है| ऐसी स्थिती में भारतीय मुसलमानों की भलाई इसी में थी की प्रचंड जनादेश के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा नेतृत्व द्वारा फैलाए गए हाथों को अपने हाथ में ले ले| लेकिन जिंदगी भर किसी ना किसी राजनैतिक पार्टी से अपना पेट पालनेवाले मुस्लिम नेतागण आज भी पुरानी मानसिकता से बाहर आते नहीं दीख रहे और सामुहिक आत्महत्या की ओर अग्रेसर है|
इस प्रकार से मुस्लिम समुदाय को हिन्दुत्ववादी पार्टी तथा संघठनों से जोड़ने के ऐतिहासिक अवसर को मुस्लिम नेतृत्व बरबाद कर रहा है|इसके बाद मोदी सरकार आम मुसलमान के साथ सीधा जुड़ जाएगा और मुस्लिम नेतृत्व अपने आप संदर्भहीन हो कर इतिहास में समा जाएगा|
चांदनी चौक मंदिर विध्वंस और मोदी- शाह को समझने में बड़ी भूल!
देश में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने मोदी-शाह जोड़ी के मन के अन्दर झांक के देखा हो| एक तरफ "मॉब लिंचिंग" के नाम से ढोल बजाना और दूसरी तरफ देशभर में दिल्ली- उत्तर प्रदेश जैसी जगहों पर मंदिरों पर हमले करवा के कट्टर हिन्दुओं को मोदी-शाह के खिलाफ उकसाना यह एक बड़े षडयंत्र का हिस्सा था| इससे होता यह, की गृहमंत्रालय पुलिस पर सख्त कारवाई करने का दबाव डालता और खूब खूनखराबा होता| इसमें पुलिस और मुसलमान दोनों का खून बहता लेकिन दुनियाभर में "मोदी द्वारा मुसलमानों का कत्लेआम" जैसी खबरे बेचीं जाती| लेकिन ऐसा हुआ नहीं, क्युंकी मोदी-शाह को पढ़ने में मुस्लिम नेतृत्व चुक कर गया| वैसे भी वर्तमान में ऐसी कोई भी मज़बूरी नहीं है की केंद्र सरकार खुद को हिन्दुओं की तरफ दिखाने के लिए किसी जल्दबाजी पर उतर आए| इसी वजह से केंद्र सरकार ने शांति से जो करना है किया, भले ही हिन्दुओं की खूब गालियां खाई, लेकिन इससे मुसलमानों को क्या मिला?
मोदी-शाह ने परिस्थिती कैसे संभाली?
चांदनी चौक मंदिर हमले के कुछ दिन बाद गृहमंत्री शाह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को गृहमंत्रालय बुलाकर कुछ कहा, जिसके बाद मंदिर पर हमला करने वाले 14 - 15 आरोपी पकडे गए| अगर मामला गर्म और ताजा रहते समय सरकार पुलिस को आरोपियों को हर हाल में गिरफ्तार करने का आदेश देती और पुरानी दिल्ली की संकीर्ण गलियों में भारी संख्या में पुलिस बल घुस जाता तो पुलिस का खून बहता, इसके बाद खुद की जान बचाने के लिए पुलिस भारी बलप्रयोग करती और मुसलमानों का खून बहता| ऐसे खूनखराबे में पुलिस का नुकसान एक तरफ रह जाता और दुनियाभर में "मुस्लिमों के ऊपर भारत में हो रही ज्यादती" के नाम से खूब फैलाया जाता| मंदिर हिन्दुओं का टुटा, लेकिन सरकार खुद बचाव की मुद्रा में घुमती! लेकिन यह योजना पूरी तरह से ढह गई|
उधर उत्तर प्रदेश के मेरठ में मॉब लिंचिंग के खिलाफ माफिया बदर अली के नेतृत्व में जुलुस निकला और काफी हिंसा तथा आगजनी हुई| जिसके बाद बदर अली फरार हुआ| कुछ दिन बाद बदर अली को योगी की पुलिस ने दबोच लिया और सभी केसेस भी खोल दिए| बदर अली की एक करोडो रुपयों की लागत वाली निजी अस्पताल की ईमारत अवैध तरीके से बन रही थी| इस मामले के बाद नगर निगम ने बुलडोज़र लगाकर इस ईमारत को ध्वस्त किया| इस अस्पताल का कुछ ही दिनों में उद्घाटन होने वाला था| इस आगजनी में शामिल कुल 850 लोगों पर केस दर्ज हुए है और एकेक को पकड़ा जा रहा है|
शाह को घेर कर मुस्लिम नेतृत्व क्या हासिल करने वाला है?
लगातार हिंदुविरोधी हिंसक घटनाए और सरकार विरोधी जहरीला अभियान चलाकर मुस्लिम नेतृत्व अमित शाह को घेरने में लगा हुआ है| एक वक्त ऐसा आएगा की कट्टर हिन्दुओं का भारी दबाव, तत्कालीन राजनैतिक परिस्थिती और भाजपा की राजनैतिक आवश्यकता तीनों चीजे एकसाथ आएगी| और तब शाह चुनिंदा प्रभावशाली लोगों पर बड़ी जबरदस्त कारवाई करेंगे| इससे जो सन्देश जहा तक पहुँचाना है वह पहुँचा देंगे और उसी दिन आम मुसलमान अपने नेतृत्व से हमेशा के लिए अलग हो जाएगा|
क्या मोदी-शाह मुस्लिम तुष्टिकरण कर रहे है?
मोदी-शाह जोड़ी हिंदु हित के मुद्दे से ही भारतीय राजनीती के केंद्र तक पहुंची है| जबरदस्त राजनैतिक सुझबुझ और असरदार राजनैतिक सन्देश करोडो लोगों तक पहुचाने में उनको महारथ हासिल है| राजनैतिक लोग रातोरात अपने रंग बदल देते है इसमें कोई शक नहीं| लेकिन यह जोड़ी हिन्दुहित वाली अपने राजनीति से दूर जाने के कोई संकेत फ़िलहाल नहीं दिख रहे| (आय.सी.आर.आर.)
नए कार्यकाल में इस्लामी कट्टरतावाद पर इन दोनों का रुख देखने लायक है| कश्मीरी जिहादी महिला आसिया आदरानबी की श्रीनगर की जायदाद कल एन.आय.ने. ने कुर्क कर ली| यासीन मलिक सहित सभी अलगाववादी जेल में बंद है| इन सभी नमूनों को पाकिस्तान का खुला समर्थन करने के बावजूद पिछले 30 साल से सभी सरकारी सुविधाए और सुरक्षा मुफ्त में मिल रही थी, वह सब अब बंद है| मोदी-1 से शुरू हुई यह आक्रामक कारवाईया मोदी- 2 में और तेज हो चुकी है| सिवाय इसके केन्द्रीय एजन्सिया देशभर में "इस्लामिक स्टेट" के खिलाफ जबरदस्त अभियान में जुटी है|
लोग कुछ भी कहे, लेकिन यह जोड़ी इतनी भी बेवकूफ नहीं की वह हिंदु हित की अनदेखी कर हिंदु जनमत को अपने से दूर करे| फिर भी भाजपा को अपने सही रास्ते पर रखने के लिए कारगर, सजग और सतर्क हिंदु समाज की आवश्यकता है| ना सिर्फ सरकार को नियंत्रण में रखने के लिए बल्की नौकरशाही को काबू में रखने के लिए भी यह दबाव आवश्यक है|
लेकिन सिर्फ इंटरनेट पर आक्रामकता के साथ हिंदु हित में लिखना भर काफी नहीं है| लेकिन जितना हो सके उतना हिंदु हित के मुद्दों को मंत्री, सरकारी अधिकारी, विभागों के समक्ष लिखित रूप में पहुँचाना/ रखना भी अतिआवश्यक है| 5 साल में एक बार मोदी को वोट देकर हिंदु हित की उम्मीद करना किसी बचपने भोलेपन से कम नहीं है| निरंतर जागरूकता और सतत कार्यशीलता आवश्यक है|
----- विनय जोशी